खाड़ी देशों से हवाला के जरिए आए करोड़ों रुपए, भारत के खिलाफ हो रही थी साजिश , ED का PFI पर बड़ा खुलासा

खाड़ी देशों से हवाला के जरिए आए करोड़ों रुपए, भारत के खिलाफ हो रही थी साजिश , ED का PFI पर बड़ा खुलासा

नई दिल्ली. केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. ये सभी आरोपी पीएफआई में अलग-अलग ओहदों पर थे, जो विदेश से हवाला के जरिए आए करोड़ों रुपए का इस्तेमाल देशविरोधी गतिविधियों में कर रहे थे.

ईडी के अनुसार, गिरफ्तार किए गए प्रमुख सदस्यों में पीएफआई के संस्थापक सदस्यों में से एक ए. एस. इस्माइल, संगठन की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष मोहम्मद शाकिफ, 2020 तक राष्ट्रीय सचिव रहे अनीस अहमद, संगठन को जब प्रतिबंधित किया गया उस वक्त राष्ट्रीय सचिव रहे अफसर पाशा और संगठन के मौजूदा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ई.एम. अब्दुल रहमान शामिल हैं.

दरअसल, साल 2018 में 2 मई को दर्ज की गई ECIR में गिरफ्तार सभी पांचों आरोपियों से ED ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में हाल ही में 19 दिसंबर को पूछताछ की. ये पूछताछ 3 दिसंबर 2020 को पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान बरामद संगठन के अलग-अलग बैंक अकाउंट डिटेल के आधार पर की गई.

सभी आरोपी संगठन के अलग-अलग शहरों में मौजूद बैंक अकाउंट के साइनिंग अथॉरिटी थे. इन सभी से बैंक अकाउंटों में आए करोड़ो रुपए की मनी ट्रेल के बारे में पूछताछ की गई, लेकिन संतोषजनक जवाब न देने और तथ्य छिपाने के आरोप में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

प्रतिबंधित संगठन PFI में आरोपियों का रोल: ई एम अब्दुल रहमान- शुरुआत से PFI से जुड़े थे, यह PFI में पिछले कई सालों में अलग-अलग पद पर रहा और इसका PFI के हर बड़े एक्शन और फैसले में अहम रोल रहा है. अब्दुल रहमान एक अन्य प्रतिबंधित संगठन ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’ (सिमी) से 1979 से 1984 तक जुड़ा रहा, उसके बाद जब इस संगठन पर प्रतिबंध लगा तो PFI के नाम से बनाये गए नए संगठन में 2007 से 2008 तक जनरल सेक्रेटरी और 2009 से 2012 तक PFI का चेयरमैन रहा. साथ ही, संगठन पर प्रतिबंध लगने तक PFI नेशनल एग्जीक्यूटिव कॉउन्सिल जो कि संगठन के हर बड़े फैसले लेती थी, उसका वाईस चेयरमैन भी रहा. इस बीच अब्दुल रहमान ने तुर्की और कई अफ्रीकन देशों का अन्य PFI मेंबर के साथ कई बार दौरा किया. साल 2015 से लेकर 2020 तक PFI के दिल्ली के कालका जी और कोज़हीकोडे मे स्थित सिंडिकेट बैंक में संगठन के बैंक एकाउंट का साइनिंग ऑथोरिटी भी था.

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