‘सबसे बड़ा महाठग ‘ धनीराम मित्तल का निधन, क्यों कहा जाता था भारत का चार्ल्स शोभराज
नई दिल्ली: 85 साल के धनीराम मित्तल नहीं रहे। उनके निधन पर नि:संदेह किसी को शक नहीं। लेकिन कोर्ट, कानून और अलग-अलग राज्यों की पुलिस ‘मौत’ की खबर पर आसानी से यकीन नहीं करने वाली। वजह, क्या पता इसमें भी कोई ‘चार सौ बीसी’ हो। लिहाजा कोर्ट भी और पुलिस भी ‘निधन’ के समाचार को कंफर्म जरूर करेगी क्योंकि, छह दिन बाद इसी 26 अप्रैल को रोहिणी कोर्ट में धनीराम मित्तल की पेशी थी। 2010 के रानी बाग थाने के एक पुराने केस में गैरहाजिर रहने पर उनका NBW निकला हुआ है। हाल ही में धनीराम एक पुराने केस में चंडीगढ़ की जेल में 2 महीने की कैद काटकर आए थे।
भारत का चार्ल्स शोभराज तो कभी ‘‘सबसे बड़ा महाठग ‘ कहे जाने वाले धनीराम मित्तल का हार्ट अटैक से गुरुवार को देहांत हुआ। परिवार ने निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया। बेशक धनीराम अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके ‘अहिंसक’ कारनामों की लंबी फेहरिस्त और किस्से दिल्ली ही नहीं यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान समेत अनेकों राज्यों की ‘पुलिस फाइलों’ में उन्हें जिंदा रखेंगे। उनके अनेको अनूठे किस्सों की वजह से अक्टूबर 2022 में बॉलीवुड के एक बड़े डायरेक्टर ने धनीराम की बायोग्राफी पर उनके साथ फिल्म साइन की। बहुत जल्द ही धनीराम पर बनी फिल्म रिलीज होगी। फिल्म साइन के दौरान NBT रिपोर्टर से रूबरू होते हुए धनीराम ने उन सभी किस्सों को हसंते मुस्कुराते हुए बताया जो तमाम वेबसाइटों पर समाचारों की सुर्खियां हैं। साथ ही बड़ी साफगोई से कहा ‘मैं अहिंसक अपराधी हूं… किसी को शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचाया, लोग खुद धोखा खाते हैं’।
जालसाजी के 150 से ज्यादा केस दर्ज
पुलिस अफसर के मुताबिक, ग्राफोलॉजी (हूबहू लिखावट और हस्ताक्षर) के मास्टर धनीराम मित्तल पर 150 से अधिक जालसाजी के केस दर्ज हैं। ‘चार सौ बीसी’ में कानूनी दांव पेच के लिए धनीराम ने एलएलबी भी की जिसके बाद अपने अधिकतर केस की पैरवी वो खुद ही करते थे। दिल्ली में धनीराम मित्तल के कारनामों पर सबसे ज्यादा एसीपी राजपाल डबास (तब एसआई, फिर इंस्पेक्टर रहे) ने एक्शन लिया। वह धनीराम की एक-एक खुराफात से वाकिफ थे। पीसीआर में तैनात एसीपी राजपाल ने अधिकतर कार चोरी और अन्य केसों में धनीराम को गिरफ्तार किया था। उम्रदराज हो चुके धनीराम कुछ समय पहले नरेला, फिर हाल ही में बुराड़ी इलाके में रह रहे थे। धनीराम 1939 में भिवानी में पैदा हुए थे। रोहतक कॉलेज से ग्रैजुएशन के बाद रेलवे में नकली दस्तावेज बनाकर नौकरी पा ली थी। कहा जाता है कि 1968-74 तक बतौर स्टेशन मास्टर काम भी किया। 1964 में वह रोहतक में आरटीओ दफ्तर में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के आरोप में गिरफ्तार हुए थे।
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